सब चंगा सी ...
15 लाख का झांसा दे कर
लोग चुनकर आगए,
सरकार बस अब नाम की रही
सब कुछ बेच कर खा गए
जीडीपी में आयी गिरावट
जॉब गयी लाखो लोगो की
ये ख़ुशी से झूम रहे है
कहते है
सब चंगा सी
अर्बन नक्सल , टुकड़े टुकड़े ,
बड़बड़ा है इनका शब्दकोश
धारा १४४ लगाते
अगर बढे है असंतोष ?
नोटेबंदी करके ये कहते ,
50 दिन तो रुको सही ,
काला धन अगर आया नहीं
तो जला देना मुझे यही ..
१०० लोग मर गए खड़े खड़े पर
कहते है
सब चंगा सी ....
8 बजे आकर ये कहते ,
लॉकडाउन अब लग जाएगा ,
एक पल भी सोचा नहीं ,
गरीब मजदूर क्या खायेगा ...
थाली बजाई , दिए जलाये ,
महामारी तो गई नहीं ,
राजधानी होकर भी दिल्ली ,
सासो के लिए तड़प रही ...
शमशानों में लगी कतारें
जनता दर दर घूम रही ,
टिका नहीं है लगवाने को
पर कहते है
सब चंगा सी ...
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